गज़ल
उसकी अर्थी को उठा कर रो दिये थे
रस्म दुनिया की निभा कर रो दिये थे
नाज़ से पाला जिसे माँ बाप ने था
आग पर उसको लिटा कर रो दियेथे
थी उम्र शहनाइयाँ बजती मगर अब
मौत का मातम मना कर रो दिये थे
दी सलामी आखिरी नम आँखों से जब
दिल के ट्कडे को विदा कर रो दियेथे
यूँ सभी अरमान दिल मे रह गये थे
राख सपनो की उठा कर रो दिये थे
थी बडी चाहत कभी घर आयेगा वो
लाश जब आयी सजा कर रो दिये थे
था चिरागे दिल मगर मजबूर थे सब
अस्थियाँ गंगा बहा कर रो दिये थे
वो सहारा ले गया जब छीन हम से
सिर दिवारों से सटा कर रो दिये थे
रोक लें आँसू मगर रुकते नही अब
दर्द का दरिया बहा कर रो दिये थे
माँ ग ली उसने रिहाई क्यों खुदा से
कुछ गिले शिकवे सुना कर रो दिये थे
उसकी अर्थी को उठा कर रो दिये थे
रस्म दुनिया की निभा कर रो दिये थे
नाज़ से पाला जिसे माँ बाप ने था
आग पर उसको लिटा कर रो दियेथे
थी उम्र शहनाइयाँ बजती मगर अब
मौत का मातम मना कर रो दिये थे
दी सलामी आखिरी नम आँखों से जब
दिल के ट्कडे को विदा कर रो दियेथे
यूँ सभी अरमान दिल मे रह गये थे
राख सपनो की उठा कर रो दिये थे
थी बडी चाहत कभी घर आयेगा वो
लाश जब आयी सजा कर रो दिये थे
था चिरागे दिल मगर मजबूर थे सब
अस्थियाँ गंगा बहा कर रो दिये थे
वो सहारा ले गया जब छीन हम से
सिर दिवारों से सटा कर रो दिये थे
रोक लें आँसू मगर रुकते नही अब
दर्द का दरिया बहा कर रो दिये थे
माँ ग ली उसने रिहाई क्यों खुदा से
कुछ गिले शिकवे सुना कर रो दिये थे
6 comments:
अनूप जी वाकई दर्द डूबा दिया आप ने
मेरा धन्यवाद स्वीकार करें
मम्मी आप नै इस कविता सै वोह सारे लम्हे याद दिला दिये !!
इस ब्लोग कै दो मक्सद है :
1. हुम याद रखे उसे हमेशा हमेशा के लिये !
2. और हुम उस्के जीवन को अदर्श बनाये !
वोह याद बहुत आता है पर उस्का अह्सास अभी भी मेरे साथ है !!
शुक्रिया मम्मी जी !!
जिस पर गुजरती है,वही जानता है।
"maang lee usne rihaai kyon khudaa se ,
kuchh gile shikve sunaakar ro diye the ."
"asthiyaan gangaa bhaa kar ro diye the ......"behtreen maarmik bimb apno se rukhsat hone kaa ....
veerubhai .
अपने हिस्से की जिंदगी
लेकर आते हैं हम यहाँ
किसी को होता नहीं पता
जाना भी है कब और कहाँ ?
बहुत अच्छी गजल ।।।। chambal expressway route map
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